आसानी से बुरी आदते बदलो





आसानी से बुरी आदते बदलो | 

नमस्कार दोस्तों आप सभी का स्वागत है। आज मैं आपको एक ऐसी कहानी के बारे में बताऊंगा
जिसको सुनकर आप अपनी आदतों को बदल सकते हो

यानी की आदतों को बदलना कितना कठिन होता है। आदतों को बदलना कितना मुश्किल काम है लेकिन उनको बदला जा सकता है सही समय पर अगर हम चेत जाए तो

लेकिन, किस तरह से आदतों को बदला जा सकता है यह तो आपको कहानी खत्म होने के बाद ही पता चल पाएगा तो आपका ज्यादा वक्त ना लेते हुए मैं इस कहानी को शुरू करता हूँ...

एक बार की बात है एक पिता अपने पुत्र की आदतों से बहुत परेशान था। उसे समझाया करते थे कि बेटा तुम्हारी आदत से मैं बहुत परेशान हूं। अब तुम बड़े हो गए हो प्लीज अपनी आदत को सुधार लो,लेकिन बेटा हमेशा बोलता गया अभी तो मैं छोटा हूं

जब मैं बड़ा हो जाऊंगा तो मैं इस आदत को सुधार लूंगा। लेकिन, अभी गांव में एक विख्यात महात्मा आए हुए थे। इस परेशान पिता को उनकी ख्याति के बारे में पता चला तो वे उनके चरणों में चले गए। महात्मा  ने कहा कि आप मुझे कल शाम को बगीचे में मिलो और साथ में अपने पुत्र को भी लेकर के आओ उसने ऐसा ही किया।

जब शाम को बगीचे में पुत्र के साथ  पिता भी आए तो,  पुत्र ने  महात्मा जी को नमन किया और महात्मा जी ने कहा आओ बालक मेरे साथ चलो। चलते चलते एक छोटा सा पौधा महात्मा जी को दिखाई दिया।

 उन्होंने बालक से कहा कि बालक तुम इस पौधे को उखाड़ सकते हो बच्चे  ने कहा बिल्कुल।
इसमें कोई बड़ी बात नहीं है। बालक ने फटाफट पौधे को उखाड़ दिया महात्मा जी आगे बढ़े

अबकी बार पौधा थोड़ा बड़ा था। लेकिन महात्मा जी ने कहा क्या तुम इस पौधे को भी उखाड़ सकते हो?

 बच्चे के अंदर जोश था बिल्कुल मैं इसको उखाड़ सकता हूं
थोड़ी मेहनत उसको लगी। लेकिन अंततः पौधा उखाड़ दिया।

अब महात्मा जी ने उसको एक गुड़हल का पेड़ दिखाया और कहा कि इसे उखाड़ कर दिखाओ।
तब मैं मान लूंगा कि वाकई में तुममे बहुत ताकत है। बच्चा कोशिश करने लगा
तने को बार-बार हिलाने लगा लेकिन बार-बार विफल  हो रहा था। उसने कोशिश की लेकिन अंतत असफलता उसके हाथ लगी। महात्मा जी ने कहा कि कुछ आपके समझ में आया?
 बच्चा बोला नहीं।

महात्मा ने कहा ठीक ऐसा ही हमारी आदतों के साथ है। अगर शुरू में हम आदतों को तोड़ना चाहे। ठीक पौधों की तरह तोड़ सकते हैं। क्यों की शुरू में आदतें इतनी मजबूत नहीं होती है।

 लेकिन जैसे-जैसे समय गुजरता जाता है और हम आदतों को नहीं बदलते हैं। आदतें इस विशाल वृक्ष की ताकत  के बराबर मजबूत हो जाती है और अंततः उनको बदलना बहुत ही मुश्किल काम है।
हालांकि  नामुमकिन नहीं है लेकिन बहुत ही मुश्किल काम है।

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